उत्पत्ति 50:4
जब उसके विलाप के दिन बीत गए, तब यूसुफ फिरौन के घराने के लोगों से कहने लगा, यदि तुम्हारी अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो तो मेरी यह बिनती फिरौन को सुनाओ,
And when the days | וַיַּֽעַבְרוּ֙ | wayyaʿabrû | va-ya-av-ROO |
of his mourning | יְמֵ֣י | yĕmê | yeh-MAY |
were past, | בְכִית֔וֹ | bĕkîtô | veh-hee-TOH |
Joseph | וַיְדַבֵּ֣ר | waydabbēr | vai-da-BARE |
spake | יוֹסֵ֔ף | yôsēp | yoh-SAFE |
unto | אֶל | ʾel | el |
the house | בֵּ֥ית | bêt | bate |
of Pharaoh, | פַּרְעֹ֖ה | parʿō | pahr-OH |
saying, | לֵאמֹ֑ר | lēʾmōr | lay-MORE |
If | אִם | ʾim | eem |
now | נָ֨א | nāʾ | na |
I have found | מָצָ֤אתִי | māṣāʾtî | ma-TSA-tee |
grace | חֵן֙ | ḥēn | hane |
in your eyes, | בְּעֵ֣ינֵיכֶ֔ם | bĕʿênêkem | beh-A-nay-HEM |
speak, | דַּבְּרוּ | dabbĕrû | da-beh-ROO |
you, pray I | נָ֕א | nāʾ | na |
in the ears | בְּאָזְנֵ֥י | bĕʾoznê | beh-oze-NAY |
of Pharaoh, | פַרְעֹ֖ה | parʿō | fahr-OH |
saying, | לֵאמֹֽר׃ | lēʾmōr | lay-MORE |