Psalm 10:7
उसका मुंह शाप और छल और अन्धेर से भरा है; उत्पात और अनर्थ की बातें उसके मुंह में हैं।
Psalm 10:7 in Other Translations
King James Version (KJV)
His mouth is full of cursing and deceit and fraud: under his tongue is mischief and vanity.
American Standard Version (ASV)
His mouth is full of cursing and deceit and oppression: Under his tongue is mischief and iniquity.
Bible in Basic English (BBE)
His mouth is full of cursing and deceit and false words: under his tongue are evil purposes and dark thoughts.
Darby English Bible (DBY)
His mouth is full of cursing, and deceit, and oppression; under his tongue is mischief and iniquity.
Webster's Bible (WBT)
His mouth is full of cursing and deceit and fraud: under his tongue is mischief and vanity.
World English Bible (WEB)
His mouth is full of cursing, deceit, and oppression. Under his tongue is mischief and iniquity.
Young's Literal Translation (YLT)
Of oaths his mouth is full, And deceits, and fraud: Under his tongue `is' perverseness and iniquity,
| His mouth | אָלָ֤ה | ʾālâ | ah-LA |
| is full | פִּ֣יהוּ | pîhû | PEE-hoo |
| of cursing | מָ֭לֵא | mālēʾ | MA-lay |
| and deceit | וּמִרְמ֣וֹת | ûmirmôt | oo-meer-MOTE |
| fraud: and | וָתֹ֑ךְ | wātōk | va-TOKE |
| under | תַּ֥חַת | taḥat | TA-haht |
| his tongue | לְ֝שׁוֹנ֗וֹ | lĕšônô | LEH-shoh-NOH |
| is mischief | עָמָ֥ל | ʿāmāl | ah-MAHL |
| and vanity. | וָאָֽוֶן׃ | wāʾāwen | va-AH-ven |
Cross Reference
Psalm 7:14
देख दुष्ट को अनर्थ काम की पीड़ाएं हो रही हैं, उसको उत्पात का गर्भ है, और उससे झूठ उत्पन्न हुआ। उसने गड़हा खोदकर उसे गहिरा किया,
Job 20:12
चाहे बुराई उसको मीठी लगे, और वह उसे अपनी जीभ के नीचे छिपा रखे,
Psalm 140:3
उनका बोलना सांप का काटना सा है, उनके मुंह में नाग का सा विष रहता है॥
Psalm 36:3
उसकी बातें अनर्थ और छल की हैं; उसने बुद्धि और भलाई के काम करने से हाथ उठाया है।
Proverbs 21:6
जो धन झूठ के द्वारा प्राप्त हो, वह वायु से उड़ जाने वाला कोहरा है, उसके ढूंढ़ने वाले मृत्यु ही को ढूंढ़ते हैं।
Proverbs 30:8
अर्थात व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर।
Isaiah 59:4
कोई धर्म के साथ नालिश नहीं करता, न कोई सच्चाई से मुकद्दमा लड़ता है; वे मिथ्या पर भरोसा रखते हैं और झूठ बातें बकते हैं, उसको मानो उत्पात का गर्भ रहता, और वे अनर्थ को जन्म देते हैं।
Jeremiah 9:3
अपनी अपनी जीभ को वे धनुष की नाईं झूठ बोलने के लिये तैयार करते हैं, और देश में बलवन्त तो हो गए, परन्तु सच्चाई के लिये नहीं; वे बुराई पर बुराई बढ़ाते जाते हैं, और वे मुझ को जानते ही नहीं, यहोवा की यही वाणी है।
Jeremiah 9:6
तेरा निवास छल के बीच है; छल ही के कारण वे मेरा ज्ञान नहीं चाहते, यहोवा की यही वाणी है।
Matthew 12:34
हे सांप के बच्चों, तुम बुरे होकर क्योंकर अच्छी बातें कह सकते हो? क्योंकि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है।
Romans 3:13
उन का गला खुली हुई कब्र है: उन्होंने अपनी जीभों से छल किया है: उन के होठों में सापों का विष है।
James 3:6
जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
Psalm 144:11
तू मुझ को उबार और परदेशियों के वश से छुड़ा ले, जिन के मुंह से व्यर्थ बातें निकलती हैं, और जिनका दाहिना हाथ झूठ का दाहिना हाथ है॥
Psalm 144:8
उनके मुंह से तो व्यर्थ बातें निकलती हैं, और उनके दाहिने हाथ से धोखे के काम होते हैं॥
Psalm 5:9
क्योंकि उनके मुंह में कोई सच्चाई नहीं; उनके मन में निरी दुष्टता है। उनका गला खुली हुई कब्र है, वे अपनी जीभ से चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं।
Psalm 12:2
उन में से प्रत्येक अपने पड़ोसी से झूठी बातें कहता है; वे चापलूसी के ओठों से दो रंगी बातें करते हैं॥
Psalm 41:6
और जब वह मुझ से मिलने को आता है, तब वह व्यर्थ बातें बकता है, जब कि उसका मन अपने अन्दर अधर्म की बातें संचय करता है; और बाहर जाकर उनकी चर्चा करता है।
Psalm 52:4
हे छली जीभ तू सब विनाश करने वाली बातों से प्रसन्न रहती है॥
Psalm 55:21
उसके मुंह की बातें तो मक्खन सी चिकनी थी परन्तु उसके मन में लड़ाई की बातें थीं; उसके वचन तेल से अधिक नरम तो थे परन्तु नंगी तलवारें थीं॥
Psalm 58:3
दुष्ट लोग जन्मते ही पराए हो जाते हैं, वे पेट से निकलते ही झूठ बोलते हुए भटक जाते हैं।
Psalm 59:12
वह अपने मुंह के पाप, और ओठों के वचन, और शाप देने, और झूठ बोलने के कारण, अभिमान में फंसे हुए पकड़े जाएं।
Psalm 62:4
सचमुच वे उसको, उसके ऊंचे पद से गिराने की सम्मति करते हैं; वे झूठ से प्रसन्न रहते हैं। मुंह से तो वे आशीर्वाद देते पर मन में कोसते हैं॥
Psalm 64:3
उन्होंने अपनी जीभ को तलवार की नाईं तेज किया है, और अपने कड़वे वचनों के तीरों को चढ़ाया है;
Psalm 73:8
वे ठट्ठा मारते हैं, और दुष्टता से अन्धेर की बात बोलते हैं;
Psalm 140:9
मेरे घेरने वालों के सिर पर उन्हीं का विचारा हुआ उत्पात पड़े!
Job 15:35
उनके उपद्रव का पेट रहता, और अनर्थ उत्पन्न होता है: और वे अपने अन्त:करण में छल की बातें गढ़ते हैं।