Ecclesiastes 5:10 in Hindi

Hindi Hindi Bible Ecclesiastes Ecclesiastes 5 Ecclesiastes 5:10

Ecclesiastes 5:10
जो रूपये से प्रीति रखता है वह रूपये से तृप्त न होगा; और न जो बहुत धन से प्रीति रखता है, लाभ से: यह भी व्यर्थ है।

Ecclesiastes 5:9Ecclesiastes 5Ecclesiastes 5:11

Ecclesiastes 5:10 in Other Translations

King James Version (KJV)
He that loveth silver shall not be satisfied with silver; nor he that loveth abundance with increase: this is also vanity.

American Standard Version (ASV)
He that loveth silver shall not be satisfied with silver; nor he that loveth abundance, with increase: this also is vanity.

Bible in Basic English (BBE)
When goods are increased, the number of those who take of them is increased; and what profit has the owner but to see them?

Darby English Bible (DBY)
He that loveth silver shall not be satisfied with silver, nor he that loveth abundance with increase. This also is vanity.

World English Bible (WEB)
He who loves silver shall not be satisfied with silver; nor he who loves abundance, with increase: this also is vanity.

Young's Literal Translation (YLT)
Whoso is loving silver is not satisfied `with' silver, nor he who is in love with stores `with' increase. Even this `is' vanity.

He
that
loveth
אֹהֵ֥בʾōhēboh-HAVE
silver
כֶּ֙סֶף֙kesepKEH-SEF
not
shall
לֹאlōʾloh
be
satisfied
יִשְׂבַּ֣עyiśbaʿyees-BA
with
silver;
כֶּ֔סֶףkesepKEH-sef
he
nor
וּמִֽיûmîoo-MEE
that
loveth
אֹהֵ֥בʾōhēboh-HAVE
abundance
בֶּהָמ֖וֹןbehāmônbeh-ha-MONE
increase:
with
לֹ֣אlōʾloh
this
תְבוּאָ֑הtĕbûʾâteh-voo-AH
is
also
גַּםgamɡahm
vanity.
זֶ֖הzezeh
הָֽבֶל׃hābelHA-vel

Cross Reference

1 Timothy 6:10
क्योंकि रूपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटक कर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है॥

Matthew 6:24
कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा; “तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते”।

Ecclesiastes 4:8
कोई अकेला रहता और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तौभी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आंखें धन से सन्तुष्ट होती हैं, और न वह कहता है, मैं किस के लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूं? यह भी व्यर्थ और निरा दु:खभरा काम है।

Luke 12:15
और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।

Ecclesiastes 2:11
तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्रम को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं॥

Matthew 6:19
अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं।

Habakkuk 2:5
दाखमधु से धोखा होता है; अहंकारी पुरूष घर में नहीं रहता, और उसकी लालसा अधोलोक के समान पूरी नहीं होती, और मृत्यु की नाईं उसका पेट नहीं भरता। वह सब जातियों को अपने पास खींच लेता, और सब देशों के लोगों को अपने पास इकट्ठे कर रखता है॥

Ecclesiastes 6:7
मनुष्य का सारा परिश्रम उसके पेट के लिये होता है तौभी उसका मन नहीं भरता।

Ecclesiastes 4:16
वे सब लोग अनगिनित थे जिन पर वह प्रधान हुआ था। तौभी भविष्य में होने वाले लोग उसके कारण आनन्दित न होंगे। नि:सन्देह यह भी व्यर्थ और मन का कुढ़ना है॥

Ecclesiastes 4:4
तब में ने सब परिश्रम के काम और सब सफल कामों को देखा जो लोग अपने पड़ोसी से जलन के कारण करते हैं। यह भी व्यर्थ और मन का कुढ़ना है॥

Ecclesiastes 3:19
क्योंकि जैसी मनुष्यों की वैसी ही पशुओं की भी दशा होती है; दोनों की वही दशा होती है, जैसे एक मरता वैसे ही दूसरा भी मरता है। सभों की स्वांस एक सी है, और मनुष्य पशु से कुछ बढ़कर नहीं; सब कुछ व्यर्थ ही है।

Ecclesiastes 2:26
जो मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है, उसको वह बुद्धि और ज्ञान और आनन्द देता है; परन्तु पापी को वह दु:खभरा काम ही देता है कि वह उसका देने के लिये संचय कर के ढेर लगाए जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा हो। यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ना है॥

Ecclesiastes 2:17
बुद्धिमान क्योंकर मूर्ख के समान मरता है! इसलिये मैं ने अपने जीवन से घृणा की, क्योंकि जो काम संसार में किया जाता है मुझे बुरा मालूम हुआ; क्योंकि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।

Ecclesiastes 1:17
और मैं ने अपना मन लगाया कि बुद्धि का भेद लूं और बावलेपन और मूर्खता को भी जान लूं। मुझे जान पड़ा कि यह भी वायु को पकड़ना है॥

Proverbs 30:15
जैसे जोंक की दो बेटियां होती हैं, जो कहती हैं दे, दे, वैसे ही तीन वस्तुएं हैं, जो तृप्त नहीं होतीं; वरन चार हैं, जो कभी नहीं कहतीं, बस।

Psalm 62:10
अन्धेर करने पर भरोसा मत रखो, और लूट पाट करने पर मत फूलो; चाहे धन सम्पति बढ़े, तौभी उस पर मन न लगाना॥

Psalm 52:7
देखो, यह वही पुरूष है जिसने परमेश्वर को अपनी शरण नहीं माना, परन्तु अपने धन की बहुतायत पर भरोसा रखता था, और अपने को दुष्टता में दृढ़ करता रहा!

Psalm 52:1
हे वीर, तू बुराई करने पर क्यों घमण्ड करता है? ईश्वर की करूणा तो अनन्त है।