Psalm 126
1 जब यहोवा सिय्योन से लौटने वालों को लौटा ले आया, तब हम स्वप्न देखने वाले से हो गए।
2 तब हम आनन्द से हंसने और जयजयकार करने लगे; तब जाति जाति के बीच में कहा जाता था, कि यहोवा ने, इनके साथ बड़े बड़े काम किए हैं।
3 यहोवा ने हमारे साथ बड़े बड़े काम किए हैं; और इस से हम आनन्दित हैं॥
4 हे यहोवा, दक्खिन देश के नालों की नाईं, हमारे बन्धुओं को लौटा ले आ!
5 जो आंसू बहाते हुए बोते हैं, वे जयजयकार करते हुए लवने पाएंगे।
6 चाहे बोने वाला बीज ले कर रोता हुआ चला जाए, परन्तु वह फिर पूलियां लिए जयजयकार करता हुआ निश्चय लौट आएगा॥
1 A Song of degrees.
2 When the Lord turned again the captivity of Zion, we were like them that dream.
3 Then was our mouth filled with laughter, and our tongue with singing: then said they among the heathen, The Lord hath done great things for them.
4 The Lord hath done great things for us; whereof we are glad.
5 Turn again our captivity, O Lord, as the streams in the south.
6 They that sow in tears shall reap in joy.
7 He that goeth forth and weepeth, bearing precious seed, shall doubtless come again with rejoicing, bringing his sheaves with him.