भजन संहिता 141:2
मेरी प्रार्थना तेरे साम्हने सुगन्ध धूप, और मेरा हाथ फैलाना, संध्या काल का अन्नबलि ठहरे!
Let my prayer | תִּכּ֤וֹן | tikkôn | TEE-kone |
be set forth | תְּפִלָּתִ֣י | tĕpillātî | teh-fee-la-TEE |
before | קְטֹ֣רֶת | qĕṭōret | keh-TOH-ret |
thee as incense; | לְפָנֶ֑יךָ | lĕpānêkā | leh-fa-NAY-ha |
up lifting the and | מַֽשְׂאַ֥ת | maśʾat | mahs-AT |
of my hands | כַּ֝פַּ֗י | kappay | KA-PAI |
as the evening | מִנְחַת | minḥat | meen-HAHT |
sacrifice. | עָֽרֶב׃ | ʿāreb | AH-rev |