भजन संहिता 129
1 इस्राएल अब यह कहे, कि मेरे बचपन से लोग मुझे बार बार क्लेश देते आए हैं,
2 मेरे बचपन से वे मुझ को बार बार क्लेश देते तो आए हैं, परन्तु मुझ पर प्रबल नहीं हुए।
3 हलवाहों ने मेरी पीठ के ऊपर हल चलाया, और लम्बी लम्बी रेखाएं कीं।
4 यहोवा धर्मी है; उसने दुष्टों के फन्दों को काट डाला है।
5 जितने सिय्योन से बैर रखते हैं, उन सभों की आशा टूटे, ओर उन को पीछे हटना पड़े!
6 वे छत पर की घास के समान हों, जो बढ़ने से पहिले सूख जाती है;
7 जिस से कोई लवैया अपनी मुट्ठी नहीं भरता, न पूलियों का कोई बान्धने वाला अपनी अंकवार भर पाता है,
8 और न आने जाने वाले यह कहते हैं, कि यहोवा की आशीष तुम पर होवे! हम तुम को यहोवा के नाम से आशीर्वाद देते हैं!
1 A Song of degrees.
2 Many a time have they afflicted me from my youth, may Israel now say:
3 Many a time have they afflicted me from my youth: yet they have not prevailed against me.
4 The plowers plowed upon my back: they made long their furrows.
5 The Lord is righteous: he hath cut asunder the cords of the wicked.
6 Let them all be confounded and turned back that hate Zion.
7 Let them be as the grass upon the housetops, which withereth afore it groweth up:
8 Wherewith the mower filleth not his hand; nor he that bindeth sheaves his bosom.
9 Neither do they which go by say, The blessing of the Lord be upon you: we bless you in the name of the Lord.