भजन संहिता 122
1 जब लोगों ने मुझ से कहा, कि हम यहोवा के भवन को चलें, तब मैं आनन्दित हुआ।
2 हे यरूशलेम, तेरे फाटकों के भीतर, हम खड़े हो गए हैं!
3 हे यरूशलेम, तू ऐसे नगर के समान बना है, जिसके घर एक दूसरे से मिले हुए हैं।
4 वहां याह के गोत्र गोत्र के लोग यहोवा के नाम का धन्यवाद करने को जाते हैं; यह इस्राएल के लिये साक्षी है।
5 वहां तो न्याय के सिंहासन, दाऊद के घराने के लिये धरे हुए हैं॥
6 यरूशलेम की शान्ति का वरदान मांगो, तेरे प्रेमी कुशल से रहें!
7 तेरी शहरपनाह के भीतर शान्ति, और तेरे महलों में कुशल होवे!
8 अपने भाइयों और संगियों के निमित्त, मैं कहूंगा कि तुझ में शान्ति होवे!
9 अपने परमेश्वर यहोवा के भवन के निमित्त, मैं तेरी भलाई का यत्न करूंगा॥
1 A Song of degrees of David.
2 I was glad when they said unto me, Let us go into the house of the Lord.
3 Our feet shall stand within thy gates, O Jerusalem.
4 Jerusalem is builded as a city that is compact together:
5 Whither the tribes go up, the tribes of the Lord, unto the testimony of Israel, to give thanks unto the name of the Lord.
6 For there are set thrones of judgment, the thrones of the house of David.
7 Pray for the peace of Jerusalem: they shall prosper that love thee.
8 Peace be within thy walls, and prosperity within thy palaces.
9 For my brethren and companions’ sakes, I will now say, Peace be within thee.
10 Because of the house of the Lord our God I will seek thy good.