भजन संहिता 12
1 .हे परमेश्वर बचा ले, क्योंकि एक भी भक्त नहीं रहा; मनुष्यों में से विश्वास योग्य लोग मर मिटे हैं।
2 उन में से प्रत्येक अपने पड़ोसी से झूठी बातें कहता है; वे चापलूसी के ओठों से दो रंगी बातें करते हैं॥
3 प्रभु सब चापलूस ओठों को और उस जीभ को जिस से बड़ा बोल निकलता है काट डालेगा।
4 वे कहते हैं कि हम अपनी जीभ ही से जीतेंगे, हमारे ओंठ हमारे ही वश में हैं; हमारा प्रभु कौन है?
5 दीन लोगों के लुट जाने, और दरिद्रों के कराहने के कारण, परमेश्वर कहता है, अब मैं उठूंगा, जिस पर वे फुंकारते हैं उसे मैं चैन विश्राम दूंगा।
6 परमेश्वर का वचन पवित्र है, उस चान्दि के समान जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार निर्मल की गई हो॥
7 तू ही हे परमेश्वर उनकी रक्षा करेगा, उन को इस काल के लोगों से सर्वदा के लिये बचाए रखेगा।
8 जब मनुष्यों में नीचपन का आदर होता है, तब दुष्ट लोग चारों ओर अकड़ते फिरते हैं॥
1 To the chief Musician upon Sheminith, A Psalm of David.
2 Help, Lord; for the godly man ceaseth; for the faithful fail from among the children of men.
3 They speak vanity every one with his neighbour: with flattering lips and with a double heart do they speak.
4 The Lord shall cut off all flattering lips, and the tongue that speaketh proud things:
5 Who have said, With our tongue will we prevail; our lips are our own: who is lord over us?
6 For the oppression of the poor, for the sighing of the needy, now will I arise, saith the Lord; I will set him in safety from him that puffeth at him.
7 The words of the Lord are pure words: as silver tried in a furnace of earth, purified seven times.
8 Thou shalt keep them, O Lord, thou shalt preserve them from this generation for ever.
9 The wicked walk on every side, when the vilest men are exalted.