भजन संहिता 111:1
याह की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूंगा।
Praise | הַ֥לְלוּ | hallû | HAHL-loo |
ye the Lord. | יָ֨הּ׀ | yāh | ya |
praise will I | אוֹדֶ֣ה | ʾôde | oh-DEH |
the Lord | יְ֭הוָה | yĕhwâ | YEH-va |
whole my with | בְּכָל | bĕkāl | beh-HAHL |
heart, | לֵבָ֑ב | lēbāb | lay-VAHV |
in the assembly | בְּס֖וֹד | bĕsôd | beh-SODE |
upright, the of | יְשָׁרִ֣ים | yĕšārîm | yeh-sha-REEM |
and in the congregation. | וְעֵדָֽה׃ | wĕʿēdâ | veh-ay-DA |