यशायाह 57:15
क्योंकि जो महान और उत्तम और सदैव स्थिर रहता, और जिसका नाम पवित्र है, वह यों कहता है, मैं ऊंचे पर और पवित्र स्थान में निवास करता हूं, और उसके संग भी रहता हूं, जो खेदित और नम्र हैं, कि, नम्र लोगों के हृदय और खेदित लोगों के मन को हषिर्त करूं।
For | כִּי֩ | kiy | kee |
thus | כֹ֨ה | kō | hoh |
saith | אָמַ֜ר | ʾāmar | ah-MAHR |
the high | רָ֣ם | rām | rahm |
One lofty and | וְנִשָּׂ֗א | wĕniśśāʾ | veh-nee-SA |
that inhabiteth | שֹׁכֵ֥ן | šōkēn | shoh-HANE |
eternity, | עַד֙ | ʿad | ad |
whose name | וְקָד֣וֹשׁ | wĕqādôš | veh-ka-DOHSH |
Holy; is | שְׁמ֔וֹ | šĕmô | sheh-MOH |
I dwell | מָר֥וֹם | mārôm | ma-ROME |
in the high | וְקָד֖וֹשׁ | wĕqādôš | veh-ka-DOHSH |
holy and | אֶשְׁכּ֑וֹן | ʾeškôn | esh-KONE |
place, with | וְאֶת | wĕʾet | veh-ET |
contrite a of is that also him | דַּכָּא֙ | dakkāʾ | da-KA |
and humble | וּשְׁפַל | ûšĕpal | oo-sheh-FAHL |
spirit, | ר֔וּחַ | rûaḥ | ROO-ak |
to revive | לְהַחֲיוֹת֙ | lĕhaḥăyôt | leh-ha-huh-YOTE |
the spirit | ר֣וּחַ | rûaḥ | ROO-ak |
humble, the of | שְׁפָלִ֔ים | šĕpālîm | sheh-fa-LEEM |
and to revive | וּֽלְהַחֲי֖וֹת | ûlĕhaḥăyôt | oo-leh-ha-huh-YOTE |
heart the | לֵ֥ב | lēb | lave |
of the contrite ones. | נִדְכָּאִֽים׃ | nidkāʾîm | need-ka-EEM |