यशायाह 55:2
जो भोजनवस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रूपया लगाते हो, और, जिस से पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों परिश्रम करते हो? मेरी ओर मन लगाकर सुनो, तब उत्तम वस्तुएं खाने पाओगे और चिकनी चिकनी वस्तुएं खाकर सन्तुष्ट हो जाओगे।
Wherefore | לָ֤מָּה | lāmmâ | LA-ma |
do ye spend | תִשְׁקְלוּ | tišqĕlû | teesh-keh-LOO |
money | כֶ֙סֶף֙ | kesep | HEH-SEF |
not is which that for | בְּֽלוֹא | bĕlôʾ | BEH-loh |
bread? | לֶ֔חֶם | leḥem | LEH-hem |
labour your and | וִיגִיעֲכֶ֖ם | wîgîʿăkem | vee-ɡee-uh-HEM |
for that which satisfieth | בְּל֣וֹא | bĕlôʾ | beh-LOH |
not? | לְשָׂבְעָ֑ה | lĕśobʿâ | leh-sove-AH |
hearken | שִׁמְע֨וּ | šimʿû | sheem-OO |
diligently | שָׁמ֤וֹעַ | šāmôaʿ | sha-MOH-ah |
unto | אֵלַי֙ | ʾēlay | ay-LA |
me, and eat | וְאִכְלוּ | wĕʾiklû | veh-eek-LOO |
good, is which that ye | ט֔וֹב | ṭôb | tove |
soul your let and | וְתִתְעַנַּ֥ג | wĕtitʿannag | veh-teet-ah-NAHɡ |
delight itself | בַּדֶּ֖שֶׁן | baddešen | ba-DEH-shen |
in fatness. | נַפְשְׁכֶֽם׃ | napšĕkem | nahf-sheh-HEM |