यशायाह 30:6
दक्खिन देश के पशुओं के विषय भारी वचन। वे अपनी धन सम्पति को जवान गदहों की पीठ पर, और अपने खजानों को ऊंटों के कूबड़ों पर लादे हुए, संकट और सकेती के देश में हो कर, जहां सिंह और सिंहनी, नाग और उड़ने वाले तेज विषधर सर्प रहते हैं, उन लोगों के पास जा रहे हैं जिन से उन को लाभ न होगा।
The burden | מַשָּׂ֖א | maśśāʾ | ma-SA |
of the beasts | בַּהֲמ֣וֹת | bahămôt | ba-huh-MOTE |
south: the of | נֶ֑גֶב | negeb | NEH-ɡev |
into the land | בְּאֶרֶץ֩ | bĕʾereṣ | beh-eh-RETS |
of trouble | צָרָ֨ה | ṣārâ | tsa-RA |
anguish, and | וְצוּקָ֜ה | wĕṣûqâ | veh-tsoo-KA |
from whence come the young | לָבִ֧יא | lābîʾ | la-VEE |
lion, old and | וָלַ֣יִשׁ | wālayiš | va-LA-yeesh |
the viper | מֵהֶ֗ם | mēhem | may-HEM |
and fiery flying | אֶפְעֶה֙ | ʾepʿeh | ef-EH |
serpent, | וְשָׂרָ֣ף | wĕśārāp | veh-sa-RAHF |
they will carry | מְעוֹפֵ֔ף | mĕʿôpēp | meh-oh-FAFE |
their riches | יִשְׂאוּ֩ | yiśʾû | yees-OO |
upon | עַל | ʿal | al |
shoulders the | כֶּ֨תֶף | ketep | KEH-tef |
of young asses, | עֲיָרִ֜ים | ʿăyārîm | uh-ya-REEM |
treasures their and | חֵֽילֵהֶ֗ם | ḥêlēhem | hay-lay-HEM |
upon | וְעַל | wĕʿal | veh-AL |
the bunches | דַּבֶּ֤שֶׁת | dabbešet | da-BEH-shet |
of camels, | גְּמַלִּים֙ | gĕmallîm | ɡeh-ma-LEEM |
to | אֽוֹצְרֹתָ֔ם | ʾôṣĕrōtām | oh-tseh-roh-TAHM |
people a | עַל | ʿal | al |
that shall not | עַ֖ם | ʿam | am |
profit | לֹ֥א | lōʾ | loh |
them. | יוֹעִֽילוּ׃ | yôʿîlû | yoh-EE-loo |