यहेजकेल 15
1 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
2 हे मनुष्य के सन्तान, सब वृक्षों में अंगूर की लता की क्या श्रेष्टता है? अंगूर की शाखा जो जंगल के पेड़ों के बीच उत्पन्न होती है, उस में क्या गुण है?
3 क्या कोई वस्तु बनाने के लिये उस में से लकड़ी ली जाती, वा कोई बर्तन टांगने के लिये उस में से खूंटी बन सकती है?
4 वह तो ईन्धन बना कर आग में झोंकी जाती है; उसके दोनों सिरे आग से जल जाते, और उसके बीच का भाग भस्म हो जाता है, क्या वह किसी भी काम की है?
5 देख, जब वह बनी थी, तब भी वह किसी काम की न थी, फिर जब वह आग का ईन्धन हो कर भस्म हो गई है, तब किस काम की हो सकती है?
6 सो प्रभु यहोवा यों कहता है, जैसे जंगल के पेड़ों में से मैं अंगूर की लता को आग का ईन्धन कर देता हूँ, वैसे ही मैं यरूशलेम के निवासियों को नाश कर दूंगा।
7 मैं उन से विरुद्ध हूंगा, और वे एक आग में से निकल कर फिर दूसरी आग का ईन्धन हो जाएंगे; और जब मैं उन से विमुख हूंगा, तब तुम लोग जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।
8 और मैं उनका देश उजाड़ दूंगा, क्योंकि उन्होंने मुझ से विश्वासघात किया है, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
1 And the word of the Lord came unto me, saying,
2 Son of man, What is the vine tree more than any tree, or than a branch which is among the trees of the forest?
3 Shall wood be taken thereof to do any work? or will men take a pin of it to hang any vessel thereon?
4 Behold, it is cast into the fire for fuel; the fire devoureth both the ends of it, and the midst of it is burned. Is it meet for any work?
5 Behold, when it was whole, it was meet for no work: how much less shall it be meet yet for any work, when the fire hath devoured it, and it is burned?
6 Therefore thus saith the Lord God; As the vine tree among the trees of the forest, which I have given to the fire for fuel, so will I give the inhabitants of Jerusalem.
7 And I will set my face against them; they shall go out from one fire, and another fire shall devour them; and ye shall know that I am the Lord, when I set my face against them.
8 And I will make the land desolate, because they have committed a trespass, saith the Lord God.