Ecclesiastes 5:2
बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के साम्हने निकालना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों॥
Ecclesiastes 5:2 in Other Translations
King James Version (KJV)
Be not rash with thy mouth, and let not thine heart be hasty to utter any thing before God: for God is in heaven, and thou upon earth: therefore let thy words be few.
American Standard Version (ASV)
Be not rash with thy mouth, and let not thy heart be hasty to utter anything before God; for God is in heaven, and thou upon earth: therefore let thy words be few.
Bible in Basic English (BBE)
As a dream comes from much business, so the voice of a foolish man comes with words in great number.
Darby English Bible (DBY)
Be not rash with thy mouth, and let not thy heart be hasty to utter anything before God: for God is in the heavens, and thou upon earth; therefore let thy words be few.
World English Bible (WEB)
Don't be rash with your mouth, and don't let your heart be hasty to utter anything before God; for God is in heaven, and you on earth. Therefore let your words be few.
Young's Literal Translation (YLT)
Cause not thy mouth to hasten, and let not thy heart hasten to bring out a word before God, for God is in the heavens, and thou on the earth, therefore let thy words be few.
| Be not | אַל | ʾal | al |
| rash | תְּבַהֵ֨ל | tĕbahēl | teh-va-HALE |
| with | עַל | ʿal | al |
| thy mouth, | פִּ֜יךָ | pîkā | PEE-ha |
| not let and | וְלִבְּךָ֧ | wĕlibbĕkā | veh-lee-beh-HA |
| thine heart | אַל | ʾal | al |
| be hasty | יְמַהֵ֛ר | yĕmahēr | yeh-ma-HARE |
| to utter | לְהוֹצִ֥יא | lĕhôṣîʾ | leh-hoh-TSEE |
| any thing | דָבָ֖ר | dābār | da-VAHR |
| before | לִפְנֵ֣י | lipnê | leef-NAY |
| God: | הָאֱלֹהִ֑ים | hāʾĕlōhîm | ha-ay-loh-HEEM |
| for | כִּ֣י | kî | kee |
| God | הָאֱלֹהִ֤ים | hāʾĕlōhîm | ha-ay-loh-HEEM |
| is in heaven, | בַּשָּׁמַ֙יִם֙ | baššāmayim | ba-sha-MA-YEEM |
| and thou | וְאַתָּ֣ה | wĕʾattâ | veh-ah-TA |
| upon | עַל | ʿal | al |
| earth: | הָאָ֔רֶץ | hāʾāreṣ | ha-AH-rets |
| therefore | עַֽל | ʿal | al |
| כֵּ֛ן | kēn | kane | |
| let thy words | יִהְי֥וּ | yihyû | yee-YOO |
| be | דְבָרֶ֖יךָ | dĕbārêkā | deh-va-RAY-ha |
| few. | מְעַטִּֽים׃ | mĕʿaṭṭîm | meh-ah-TEEM |
Cross Reference
नीतिवचन 10:19
जहां बहुत बातें होती हैं, वहां अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुंह को बन्द रखता है वह बुद्धि से काम करता है।
मत्ती 6:7
प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाईं बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी।
यशायाह 55:9
क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है॥
याकूब 3:2
इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
भजन संहिता 115:3
हमारा परमेश्वर तो स्वर्ग में हैं; उसने जो चाहा वही किया है।
उत्पत्ति 18:27
फिर इब्राहीम ने कहा, हे प्रभु, सुन मैं तो मिट्टी और राख हूं; तौभी मैं ने इतनी ढिठाई की कि तुझ से बातें करूं।
मत्ती 6:9
सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए।
सभोपदेशक 5:7
क्योंकि स्वप्नों की अधिकता से व्यर्थ बातों की बहुतायत होती है: परन्तु तू परमेश्वर को भय मानना॥
नीतिवचन 20:25
जो मनुष्य बिना विचारे किसी वस्तु को पवित्र ठहराए, और जो मन्नत मान कर पूछ पाछ करने लगे, वह फन्दे में फंसेगा।
गिनती 30:2
कि जब कोई पुरूष यहोवा की मन्नत माने, वा अपने आप को वाचा से बान्धने के लिये शपथ खाए, तो वह अपना वचन न टाले; जो कुछ उसके मुंह से निकला हो उसके अनुसार वह करे।
उत्पत्ति 18:32
फिर उसने कहा, हे प्रभु, क्रोध न कर, मैं एक ही बार और कहूंगा: कदाचित उस में दस मिलें। उसने कहा, तो मैं दस के कारण भी उसका नाश न करूंगा।
उत्पत्ति 18:30
फिर उसने कहा, हे प्रभु, क्रोध न कर, तो मैं कुछ और कहूं: कदाचित वहां तीस मिलें। उसने कहा यदि मुझे वहां तीस भी मिलें, तौभी ऐसा न करूंगा।
मरकुस 6:23
और उस ने शपथ खाई, कि मैं अपने आधे राज्य तक जो कुछ तू मुझ से मांगेगी मैं तुझे दूंगा।
सभोपदेशक 5:3
क्योंकि जैसे कार्य की अधिकता के कारण स्वप्न देखा जाता है, वैसे ही बहुत सी बातों का बोलने वाला मूर्ख ठहरता है।
1 शमूएल 14:24
परन्तु इस्राएली पुरूष उस दिन तंग हुए, क्योंकि शाऊल ने उन लोगों को शपथ धराकर कहा, शापित हो वह, जो सांझ से पहिले कुछ खाए; इसी रीति मैं अपने शत्रुओं से पलटा ले सकूंगा। तब उन लोगों में से किसी ने कुछ भी भोजन न किया।
न्यायियों 11:30
और यिप्तह ने यह कहकर यहोवा की मन्नत मानी, कि यदि तू नि:सन्देह अम्मोनियों को मेरे हाथ में कर दे,
उत्पत्ति 28:22
और यह पत्थर, जिसका मैं ने खम्भा खड़ा किया है, परमेश्वर का भवन ठहरेगा: और जो कुछ तू मुझे दे उसका दशमांश मैं अवश्य ही तुझे दिया करूंगा॥
उत्पत्ति 28:20
और याकूब ने यह मन्नत मानी, कि यदि परमेश्वर मेरे संग रहकर इस यात्रा में मेरी रक्षा करे, और मुझे खाने के लिये रोटी, और पहिनने के लिये कपड़ा दे,