Matthew 25:12 in Hindi

Hindi Hindi Bible Matthew Matthew 25 Matthew 25:12

Matthew 25:12
उस ने उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं, मैं तुम्हें नहीं जानता।

Matthew 25:11Matthew 25Matthew 25:13

Matthew 25:12 in Other Translations

King James Version (KJV)
But he answered and said, Verily I say unto you, I know you not.

American Standard Version (ASV)
But he answered and said, Verily I say unto you, I know you not.

Bible in Basic English (BBE)
But he made answer and said, Truly I say to you, I have no knowledge of you.

Darby English Bible (DBY)
but he answering said, Verily I say unto you, I do not know you.

World English Bible (WEB)
But he answered, 'Most assuredly I tell you, I don't know you.'

Young's Literal Translation (YLT)
and he answering said, Verily I say to you, I have not known you.

But
hooh
he
δὲdethay
answered
ἀποκριθεὶςapokritheisah-poh-kree-THEES
and
said,
εἶπενeipenEE-pane
Verily
Ἀμὴνamēnah-MANE
say
I
λέγωlegōLAY-goh
unto
you,
ὑμῖνhyminyoo-MEEN
I
know
οὐκoukook
you
οἶδαoidaOO-tha
not.
ὑμᾶςhymasyoo-MAHS

Cross Reference

2 Timothy 2:19
तौभी परमेश्वर की पड़ी नेव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है, कि प्रभु अपनों को पहिचानता है; और जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे।

Luke 13:26
तब तुम कहने लगोगे, कि हम ने तेरे साम्हने खाया पीया और तू ने हमारे बजारों में उपदेश किया।

Psalm 1:6
क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा॥

Psalm 5:5
घमंडी तेरे सम्मुख खड़े होने न पांएगे; तुझे सब अनर्थकारियों से घृणा है।

John 9:31
हम जानते हैं कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता परन्तु यदि कोई परमेश्वर का भक्त हो, और उस की इच्छा पर चलता है, तो वह उस की सुनता है।

John 10:27
मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं।

1 Corinthians 8:3
परन्तु यदि कोई परमेश्वर से प्रेम रखता है, तो उसे परमेश्वर पहिचानता है।

Galatians 4:9
पर अब जो तुम ने परमेश्वर को पहचान लिया वरन परमेश्वर ने तुम को पहचाना, तो उन निर्बल और निकम्मी आदि-शिक्षा की बातों की ओर क्यों फिरते हो, जिन के तुम दोबारा दास होना चाहते हो?

Habakkuk 1:13
तेरी आंखें ऐसी शुद्ध हैं कि तू बुराई को देख ही नहीं सकता, और उत्पात को देखकर चुप नहीं रह सकता; फिर तू विश्वासघातियों को क्यों देखता रहता, और जब दुष्ट निर्दोष को निगल जाता है, तब तू क्यों चुप रहता है?