Romans 6:1
सो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो?
Romans 6:1 in Other Translations
King James Version (KJV)
What shall we say then? Shall we continue in sin, that grace may abound?
American Standard Version (ASV)
What shall we say then? Shall we continue in sin, that grace may abound?
Bible in Basic English (BBE)
What may we say, then? are we to go on in sin so that there may be more grace?
Darby English Bible (DBY)
What then shall we say? Should we continue in sin that grace may abound?
World English Bible (WEB)
What shall we say then? Shall we continue in sin, that grace may abound?
Young's Literal Translation (YLT)
What, then, shall we say? shall we continue in the sin that the grace may abound?
| What | Τί | ti | tee |
| shall we say | οὖν | oun | oon |
| then? | ἐροῦμεν | eroumen | ay-ROO-mane |
| Shall we continue | ἐπιμενοῦμεν | epimenoumen | ay-pee-may-NOO-mane |
in | τῇ | tē | tay |
| sin, | ἁμαρτίᾳ | hamartia | a-mahr-TEE-ah |
| that | ἵνα | hina | EE-na |
| ἡ | hē | ay | |
| grace | χάρις | charis | HA-rees |
| may abound? | πλεονάσῃ | pleonasē | play-oh-NA-say |
Cross Reference
Galatians 5:13
हे भाइयों, तुम स्वतंत्र होने के लिये बुलाए गए हो परन्तु ऐसा न हो, कि यह स्वतंत्रता शारीरिक कामों के लिये अवसर बने, वरन प्रेम से एक दूसरे के दास बनो।
Romans 6:15
तो क्या हुआ क्या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हैं? कदापि नहीं।
1 Peter 2:16
और अपने आप को स्वतंत्र जानो पर अपनी इस स्वतंत्रता को बुराई के लिये आड़ न बनाओ, परन्तु अपने आप को परमेश्वर के दास समझ कर चलो।
Romans 2:4
क्या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरज रूपी धन को तुच्छ जानता है और कया यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है?
Romans 3:5
सो यदि हमारा अधर्म परमेश्वर की धामिर्कता ठहरा देता है, तो हम क्या कहें ?क्या यह कि परमेश्वर जो क्रोध करता है अन्यायी है? यह तो मैं मनुष्य की रीति पर कहता हूं।
Romans 5:20
और व्यवस्था बीच में आ गई, कि अपराध बहुत हो, परन्तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ।
Romans 3:31
तो क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं; वरन व्यवस्था को स्थिर करते हैं॥
2 Peter 2:18
वे व्यर्थ घमण्ड की बातें कर करके लुचपन के कामों के द्वारा, उन लोगों को शारीरिक अभिलाषाओं में फंसा लेते हैं, जो भटके हुओं में से अभी निकल ही रहे हैं।
Jude 1:4
क्योंकि कितने ऐसे मनुष्य चुपके से हम में आ मिले हैं, जिन के इस दण्ड का वर्णन पुराने समय में पहिले ही से लिखा गया था: ये भक्तिहीन हैं, और हमारे परमेश्वर के अनुग्रह को लुचपन में बदल डालते हैं, और हमारे अद्वैत स्वामी और प्रभु यीशु मसीह का इन्कार करते हैं॥