Isaiah 25:4
क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका भीत पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रोंके लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ।
Isaiah 25:4 in Other Translations
King James Version (KJV)
For thou hast been a strength to the poor, a strength to the needy in his distress, a refuge from the storm, a shadow from the heat, when the blast of the terrible ones is as a storm against the wall.
American Standard Version (ASV)
For thou hast been a stronghold to the poor, a stronghold to the needy in his distress, a refuge from the storm, a shade from the heat, when the blast of the terrible ones is as a storm against the wall.
Bible in Basic English (BBE)
For you have been a strong place for the poor and the crushed in their trouble, a safe place from the storm, a shade from the heat, when the wrath of the cruel ones is like a winter storm.
Darby English Bible (DBY)
For thou hast been a fortress to the poor, a fortress for the needy in his distress, a refuge from the storm, a shadow from the heat: for the blast of the terrible ones [has been] as the storm [against] a wall.
World English Bible (WEB)
For you have been a stronghold to the poor, a stronghold to the needy in his distress, a refuge from the storm, a shade from the heat, when the blast of the awesome ones is as a storm against the wall.
Young's Literal Translation (YLT)
For Thou hast been a stronghold for the poor, A stronghold for the needy in his distress, A refuge from storm, a shadow from heat, When the spirit of the terrible `is' as a storm -- a wall.
| For | כִּֽי | kî | kee |
| thou hast been | הָיִ֨יתָ | hāyîtā | ha-YEE-ta |
| strength a | מָע֥וֹז | māʿôz | ma-OZE |
| to the poor, | לַדָּ֛ל | laddāl | la-DAHL |
| strength a | מָע֥וֹז | māʿôz | ma-OZE |
| to the needy | לָאֶבְי֖וֹן | lāʾebyôn | la-ev-YONE |
| distress, his in | בַּצַּר | baṣṣar | ba-TSAHR |
| a refuge | ל֑וֹ | lô | loh |
| storm, the from | מַחְסֶ֤ה | maḥse | mahk-SEH |
| a shadow | מִזֶּ֙רֶם֙ | mizzerem | mee-ZEH-REM |
| heat, the from | צֵ֣ל | ṣēl | tsale |
| when | מֵחֹ֔רֶב | mēḥōreb | may-HOH-rev |
| the blast | כִּ֛י | kî | kee |
| ones terrible the of | ר֥וּחַ | rûaḥ | ROO-ak |
| is as a storm | עָרִיצִ֖ים | ʿārîṣîm | ah-ree-TSEEM |
| against the wall. | כְּזֶ֥רֶם | kĕzerem | keh-ZEH-rem |
| קִֽיר׃ | qîr | keer |
Cross Reference
मत्ती 7:25
और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चट्टान पर डाली गई थी।
यशायाह 32:2
हर एक मानो आंधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़ होगा; या निर्जल देश में जल के झरने, व तप्त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया।
सपन्याह 3:12
क्योंकि मैं तेरे बीच में दीन और कंगाल लोगों का एक दल बचा रखूंगा, और वे यहोवा के नाम की शरण लेंगे।
भजन संहिता 107:41
वह दरिद्रों को दु:ख से छुड़ा कर ऊंचे पर रखता है, और उन को भेड़ों के झुंड सा परिवार देता है।
यशायाह 4:5
तब यहोवा सिय्योन पर्वत के एक एक घर के ऊपर, और उसके सभास्थानों के ऊपर, दिन को तो धूंए का बादल, और रात को धधकती आग का प्रकाश सिरजेगा, और समस्त वैभव के ऊपर एक मण्डप छाया रहेगा।
यशायाह 14:32
तब अन्यजातियों के दूतों को क्या उत्तर दिया जाएगा? यह कि यहोवा ने सिय्योन की नेव डाली है, और उसकी प्रजा के दीन लोग उस में शरण लेंगे॥
यशायाह 49:25
तौभी यहोवा यों कहता है, हां, वीर के बंधुए उस से छीन लिए जांएगे, और बलात्कारी का शिकार उसके हाथ से छुड़ा लिया जाएगा, क्योंकि जो तुझ से लड़ते हैं उन से मैं आप मुकद्दमा लडूंगा, और तेरे लड़के-बालों का मैं उद्धार करूंगा।
यशायाह 66:2
यहोवा की यह वाणी है, ये सब वस्तुएं मेरे ही हाथ की बनाई हुई हैं, सो ये सब मेरी ही हैं। परन्तु मैं उसी की ओर दृष्टि करूंगा जो दीन और खेदित मन का हो, और मेरा वचन सुनकर थरथराता हो॥
यहेजकेल 13:11
उन कच्ची लेसाई करने वालों से कह कि वह गिर जाएगी। क्योंकि बड़े जोर की वर्षा होगी, और बड़े बड़े ओले भी गिरेंगे, और प्रचण्ड आंधी उसे गिराएगी।
याकूब 2:5
हे मेरे प्रिय भाइयों सुनो; क्या परमेश्वर ने इस जगत के कंगालों को नहीं चुना कि विश्वास में धनी, और उस राज्य के अधिकारी हों, जिस की प्रतिज्ञा उस ने उन से की है जो उस से प्रेम रखते हैं
यशायाह 37:36
तब यहोवा के दूत ने निकलकर अश्शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हजार पुरूषों को मारा; और भोर को जब लोग सवेरे उठे तब क्या देखा कि लोथ ही लोथ पड़ी हैं।
यशायाह 37:3
उन्होंने उस से कहा, हिजकिय्याह यों कहता है कि आज का दिन संकट और उलहने और निन्दा का दिन है, बच्चे जन्मने पर हुए पर जच्चा को जनने का बल न रहा।
यशायाह 33:16
वह चट्टानों के गढ़ों में शरण लिए हुए रहेगा; उसको रोटी मिलेगी और पानी की घटी कभी न होगी॥
यशायाह 33:2
हे यहोवा, हम लोगों पर अनुग्रह कर; हम तेरी ही बाट जोहते हैं। भोर को तू उनका भुजबल, संकट के समय हमारा उद्धारकर्त्ता ठहर।
भजन संहिता 12:5
दीन लोगों के लुट जाने, और दरिद्रों के कराहने के कारण, परमेश्वर कहता है, अब मैं उठूंगा, जिस पर वे फुंकारते हैं उसे मैं चैन विश्राम दूंगा।
भजन संहिता 35:10
मेरी हड्डी हड्डी कहेगी, हे यहोवा तेरे तुल्य कौन है, जो दीन को बड़े बड़े बलवन्तों से बचाता है, और लुटेरों से दीन दरिद्र लोगों की रक्षा करता है?
भजन संहिता 72:4
वह प्रजा के दीन लोगों का न्याय करेगा, और दरिद्र लोगों को बचाएगा; और अन्धेर करने वालों को चूर करेगा॥
भजन संहिता 72:13
वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणो को बचाएगा।
भजन संहिता 119:31
मैं तेरी चितौनियों में लौलीन हूं, हे यहोवा, मेरी आशा न तोड़!
यशायाह 11:4
परन्तु वह कंगालों का न्याय धर्म से, और पृथ्वी के नम्र लोगों का निर्णय खराई से करेगा; और वह पृथ्वी को अपने वचन के सोंटे से मारेगा, और अपने फूंक के झोंके से दुष्ट को मिटा डालेगा।
यशायाह 17:10
क्योंकि तू अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गया और अपनी दृढ़ चट्टान का स्मरण नहीं रखा; इस कारण चाहे तू मनभावने पौधे लगाए और विदेशी कलम जमाए,
यशायाह 27:5
वा मेरे साथ मेल करने को वे मेरी शरण लें, वे मेरे साथ मेल कर लें॥
यशायाह 29:5
तब तेरे परदेशी बैरियों की भीड़ सूक्ष्म धूलि की नाईं, और उन भयानक लोगों की भीड़ भूसे की नाईं उड़ाईं जाएगी।
यशायाह 29:19
नम्र लोग यहोवा के कारण फिर आनन्दित होंगे, और दरिद्र मनुष्य इस्राएल के पवित्र के कारण मगन होंगे।
यशायाह 32:18
मेरे लोग शान्ति के स्थानों में निश्चिन्त रहेंगे, और विश्राम के स्थानों में सुख से रहेंगे।
अय्यूब 5:15
परन्तु वह दरिद्रों को उनके वचनरुपी तलवार से और बलवानों के हाथ से बचाता है।