Philippians 1:9
और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Philippians 1:9 in Other Translations
King James Version (KJV)
And this I pray, that your love may abound yet more and more in knowledge and in all judgment;
American Standard Version (ASV)
And this I pray, that your love may abound yet more and more in knowledge and all discernment;
Bible in Basic English (BBE)
And my prayer is that you may be increased more and more in knowledge and experience;
Darby English Bible (DBY)
And this I pray, that your love may abound yet more and more in full knowledge and all intelligence,
World English Bible (WEB)
This I pray, that your love may abound yet more and more in knowledge and all discernment;
Young's Literal Translation (YLT)
and this I pray, that your love yet more and more may abound in full knowledge, and all judgment,
| And | καὶ | kai | kay |
| this | τοῦτο | touto | TOO-toh |
| I pray, | προσεύχομαι | proseuchomai | prose-AFE-hoh-may |
| that | ἵνα | hina | EE-na |
| your | ἡ | hē | ay |
| ἀγάπη | agapē | ah-GA-pay | |
| love may | ὑμῶν | hymōn | yoo-MONE |
| abound | ἔτι | eti | A-tee |
| yet | μᾶλλον | mallon | MAHL-lone |
| more | καὶ | kai | kay |
| and | μᾶλλον | mallon | MAHL-lone |
| more | περισσεύῃ | perisseuē | pay-rees-SAVE-ay |
| in | ἐν | en | ane |
| knowledge | ἐπιγνώσει | epignōsei | ay-pee-GNOH-see |
| and | καὶ | kai | kay |
| in all | πάσῃ | pasē | PA-say |
| judgment; | αἰσθήσει | aisthēsei | ay-STHAY-see |
Cross Reference
1 Thessalonians 3:12
और प्रभु ऐसा करे, कि जैसा हम तुम से प्रेम रखते हैं; वैसा ही तुम्हारा प्रेम भी आपस में, और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए।
Colossians 1:9
इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने और बिनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ।
2 Peter 1:5
और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्न करके, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ।
Colossians 3:10
और नए मनुष्यत्व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है।
1 Thessalonians 4:9
किन्तु भाईचारे की प्रीति के विषय में यह अवश्य नहीं, कि मैं तुम्हारे पास कुछ लिखूं; क्योंकि आपस में प्रेम रखना तुम ने आप ही परमेश्वर से सीखा है।
1 Peter 1:22
सो जब कि तुम ने भाईचारे की निष्कपट प्रीति के निमित्त सत्य के मानने से अपने मनों को पवित्र किया है, तो तन मन लगा कर एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो।
Philemon 1:6
कि तेरा विश्वास में सहभागी होना तुम्हारी सारी भलाई की पहिचान में मसीह के लिये प्रभावशाली हो।
Ephesians 5:17
इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो, कि प्रभु की इच्छा क्या है?
2 Thessalonians 1:3
हे भाइयो, तुम्हारे विषय में हमें हर समय परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए, और यह उचित भी है इसलिये कि तुम्हारा विश्वास बहुत बढ़ता जाता है, और तुम सब का प्रेम आपस में बहुत ही होता जाता है।
Philippians 3:15
सो हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा।
1 Corinthians 14:20
हे भाइयो, तुम समझ में बालक न बनो: तौभी बुराई में तो बालक रहो, परन्तु समझ में सियाने बनो।
Hebrews 5:14
पर अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं॥
1 Thessalonians 4:1
निदान, हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, और तुम्हें प्रभु यीशु में समझाते हैं, कि जैसे तुम ने हम से योग्य चाल चलना, और परमेश्वर को प्रसन्न करना सीखा है, और जैसा तुम चलते भी हो, वैसे ही और भी बढ़ते जाओ।
2 Corinthians 8:7
सो जैसे हर बात में अर्थात विश्वास, वचन, ज्ञान और सब प्रकार के यत्न में, और उस प्रेम में, जो हम से रखते हो, बढ़ते जाते हो, वैसे ही इस दान के काम में भी बढ़ते जाओ।
Matthew 13:31
उस ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया; कि स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया।
Proverbs 4:18
परन्तु धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है।
Job 17:9
तौभी धमीं लोग अपना मार्ग पकड़े रहेंगे, और शुद्ध काम करने वाले सामर्थ्य पर सामर्थ्य पाते जाएंगे।
2 Peter 3:18
पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे। आमीन॥