Ecclesiastes 2:17
बुद्धिमान क्योंकर मूर्ख के समान मरता है! इसलिये मैं ने अपने जीवन से घृणा की, क्योंकि जो काम संसार में किया जाता है मुझे बुरा मालूम हुआ; क्योंकि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।
Ecclesiastes 2:17 in Other Translations
King James Version (KJV)
Therefore I hated life; because the work that is wrought under the sun is grievous unto me: for all is vanity and vexation of spirit.
American Standard Version (ASV)
So I hated life, because the work that is wrought under the sun was grievous unto me; for all is vanity and a striving after wind.
Bible in Basic English (BBE)
So I was hating life, because everything under the sun was evil to me: all is to no purpose and desire for wind.
Darby English Bible (DBY)
And I hated life; for the work that is wrought under the sun was grievous unto me; for all is vanity and pursuit of the wind.
World English Bible (WEB)
So I hated life, because the work that is worked under the sun was grievous to me; for all is vanity and a chasing after wind.
Young's Literal Translation (YLT)
And I have hated life, for sad to me `is' the work that hath been done under the sun, for the whole `is' vanity and vexation of spirit.
| Therefore I hated | וְשָׂנֵ֙אתִי֙ | wĕśānēʾtiy | veh-sa-NAY-TEE |
| אֶת | ʾet | et | |
| life; | הַ֣חַיִּ֔ים | haḥayyîm | HA-ha-YEEM |
| because | כִּ֣י | kî | kee |
| work the | רַ֤ע | raʿ | ra |
| that is wrought | עָלַי֙ | ʿālay | ah-LA |
| under | הַֽמַּעֲשֶׂ֔ה | hammaʿăśe | ha-ma-uh-SEH |
| sun the | שֶׁנַּעֲשָׂ֖ה | šennaʿăśâ | sheh-na-uh-SA |
| is grievous | תַּ֣חַת | taḥat | TA-haht |
| unto | הַשָּׁ֑מֶשׁ | haššāmeš | ha-SHA-mesh |
| me: for | כִּֽי | kî | kee |
| all | הַכֹּ֥ל | hakkōl | ha-KOLE |
| is vanity | הֶ֖בֶל | hebel | HEH-vel |
| and vexation | וּרְע֥וּת | ûrĕʿût | oo-reh-OOT |
| of spirit. | רֽוּחַ׃ | rûaḥ | ROO-ak |
Cross Reference
Ecclesiastes 2:11
तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्रम को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं॥
Philippians 1:23
क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूं; जी तो चाहता है कि कूच करके मसीह के पास जा रहूं, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है।
Habakkuk 1:3
तू मुझे अनर्थ काम क्यों दिखाता है? और क्या कारण है कि तू उत्पात को देखता ही रहता है? मेरे साम्हने लूट-पाट और उपद्रव होते रहते हैं; और झगड़ा हुआ करता है और वादविवाद बढ़ता जाता है।
Jonah 4:8
जब सूर्य उगा, तब परमेश्वर ने पुरवाई बहा कर लू चलाई, और घाम योना के सिर पर ऐसा लगा कि वह मूर्च्छा खाने लगा; और उसने यह कह कर मृत्यु मांगी, मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही अच्छा है।
Jonah 4:3
सो अब हे यहोवा, मेरा प्राण ले ले; क्योंकि मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही भला है।
Ezekiel 3:14
सो आत्मा मुझे उठा कर ले गई, और मैं कठिन दु:ख से भरा हुआ, और मन में जलता हुआ चला गया; और यहोवा की शक्ति मुझ में प्रबल थी;
Jeremiah 20:14
श्रापित हो वह दिन जिस में मैं उत्पन्न हुआ! जिस दिन मेरी माता ने मुझ को जन्म दिया वह धन्य न हो!
Ecclesiastes 6:9
आंखों से देख लेना मन की चंचलता से उत्तम है: यह भी व्यर्थ और मन का कुढना है।
Ecclesiastes 4:2
इसलिये मैं ने मरे हुओं को जो मर चुके हैं, उन जीवतों से जो अब तक जीवित हैं अधिक सराहा;
Ecclesiastes 3:16
फिर मैं ने संसार में क्या देखा कि न्याय के स्थान में दुष्टता होती है, और धर्म के स्थान में भी दुष्टता होती है।
Ecclesiastes 2:22
मनुष्य जो धरती पर मन लगा लगाकर परिश्रम करता है उस से उसको क्या लाभ होता है?
Ecclesiastes 1:14
मैं ने उन सब कामों को देखा जो सूर्य के नीचे किए जाते हैं; देखो वे सब व्यर्थ और मानो वायु को पकड़ना है।
Psalm 89:47
मेरा स्मरण कर, कि मैं कैसा अनित्य हूं, तू ने सब मनुष्यों को क्यों व्यर्थ सिरजा है?
Job 14:13
भला होता कि तू मुझे अधोलोक में छिपा लेता, और जब तक तेरा कोप ठंढा न हो जाए तब तक मुझे छिपाए रखता, और मेरे लिये समय नियुक्त कर के फिर मेरी सुधि लेता।
Job 7:15
यहां तक कि मेरा जी फांसी को, और जीवन से मृत्यु को अधिक चाहता है।
Job 3:20
दु:खियों को उजियाला, और उदास मन वालों को जीवन क्यों दिया जाता है?
1 Kings 19:4
और आप जंगल में एक दिन के मार्ग पर जा कर एक झाऊ के पेड़ के तले बैठ गया, वहां उसने यह कह कर अपनी मृत्यु मांगी कि हे यहोवा बस है, अब मेरा प्राण ले ले, क्योंकि मैं अपने पुरखाओं से अच्छा नहीं हूँ।
Numbers 11:15
और जो तुझे मेरे साथ यही व्यवहार करना है, तो मुझ पर तेरा इतना अनुग्रह हो, कि तू मेरे प्राण एकदम ले ले, जिस से मैं अपनी दुर्दशा न देखने पाऊं॥